हिमाचल में भारी बारिश की कहर , चंबा में नेशनल हाइवे धंसा, गाड़ियां गिरीं, 647 सड़कें बंद, अब तक 394 मौतें

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की कहर भारी बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। रविवार बीती रात से सुबह तक राज्य के कुछ स्थानों में जोरदार वर्षा दर्ज की गई। कांगड़ा जिले के धर्मशाला में सर्वाधिक 232 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई। पालमपुर में 126 मिलीमीटर, मंडी जिले के मुरारी देवी क्षेत्र में 79 मिलीमीटर और सुंदरनगर व जोगिंदरनगर में 77 मिलीमीटर वर्षा दर्ज हुई। राजधानी शिमला में भी रात को झमाझम बारिश हुई और सुबह से बादलों का डेरा बना हुआ है। लगातार हो रही बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं और भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं।

मौसम विभाग ने आज रविवार को भी सात जिलों हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर में भारी वर्षा को लेकर येलो अलर्ट जारी किया है। विभाग ने चेताया है कि इन जिलों में तेज बारिश के साथ अंधड़ और बिजली गिरने की संभावना है। हालांकि 15 से 20 सितम्बर तक मॉनसून की रफ्तार धीमी पड़ने और राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा होने का अनुमान जताया गया है।

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भारी बारिश और भूस्खलन ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। सिरमौर जिले में हरिपुरधार-सोलन मार्ग भारी भूस्खलन के कारण अवरुद्ध हो गया है। वहीं चंबा जिले के डलहौजी थाना क्षेत्र के अंतर्गत वैली नामक स्थान पर पठानकोट-चंबा नेशनल हाइवे का एक हिस्सा धंस गया। इस दौरान एक ट्रक और दो बाइक नीचे जा गिरी, हालांकि गनीमत यह रही कि कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। सड़क धंसने से वाहनों की आवाजाही प्रभावित हो गई है और प्रशासन की टीमें मौके पर राहत व बहाली कार्य में जुटी हुई हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार रविवार सुबह तक की स्थिति में प्रदेश में तीन नेशनल हाइवे और कुल 647 सड़कें यातायात के लिए बंद हो गई हैं। इनमें सबसे अधिक कुल्लू जिले में एनएच-03 और एनएच-305 व 170 सड़कें बाधित हैं। मंडी में 246, शिमला में 58, कांगड़ा में 45, चंबा में 38, सिरमौर में 24, बिलासपुर में 13 और ऊना जिले में एनएच-503ए व 22 सड़कें बंद पड़ी हुई हैं। इसके अलावा राज्य में 185 ट्रांसफार्मर और 343 पेयजल योजनाएं भी ठप हो गई हैं। कुल्लू जिले में सर्वाधिक 93 ट्रांसफार्मर, मंडी में 64 और चंबा में 24 ट्रांसफार्मर प्रभावित हुए हैं। पेयजल योजनाओं में सबसे अधिक 176 कांगड़ा, 61 शिमला और 53 मंडी में ठप पड़ी हैं।

मॉनसून की इस तबाही ने हिमाचल को गहरे जख्म दिए हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार अब तक 394 लोगों की मौत हो चुकी है, 455 लोग घायल हुए हैं और 41 लोग लापता बताए जा रहे हैं। जिला वार आंकड़ों में सबसे अधिक 61 मौतें मंडी में हुई हैं। कांगड़ा में 55, चंबा में 45, कुल्लू में 44, शिमला में 42, किन्नौर और सोलन में 29-29, ऊना में 25, सिरमौर में 20, बिलासपुर में 19, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 9 लोगों की मौत हुई है।

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भारी वर्षा और आपदा से अब तक 1,403 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं जबकि 5,952 मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। 484 दुकानें और 5,929 गौशालाएं भी ढह चुकी हैं। पशुधन को भी भारी क्षति पहुंची है, जिसमें 2,086 पशु और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत दर्ज की गई है।

राज्य सरकार के अनुसार इस मॉनसून सीजन में सार्वजनिक संपत्ति को अब तक 4,467 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। लोक निर्माण विभाग को सबसे अधिक क्षति सड़कों और पुलों के टूटने से पहुंची है। राज्यभर में अब तक 140 भूस्खलन, 97 फ्लैश फ्लड और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

इस बीच प्रदेश में आपदा की स्थिति का जायजा लेने के लिए केंद्र सरकार के कई मंत्री इन दिनों दौरे पर हैं। वे चंबा, मंडी और कुल्लू जिलों में जाकर आपदा से हुए नुकसान और राहत कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं। वहीं, राज्य सरकार और प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। खासतौर पर नदी-नालों और ढलानों से दूर रहने को कहा गया है.।

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